Saturday, 4 April 2015

सजा

सजा
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न कहिये कुछ
न खींचीये आड़ी तिरछी रेखायें
न बनाईये तस्वीर
न गाईये गीत
न बजाईये संगीत
न नाचीये

कहने में
खींचने में
बनाने में
गाने में
बजाने में
नाचने में
आप कर सकते हैं
किसी सीमा को पार
जिसकी मनाही है

हदों को तोड़ने की सख्त मुनादी है
बोली की सजा गोली है.

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