शासक ने कहा -
मुझे सोने दो ,
कोई मुझे नींद से न जगाये
जब तक मैं खुद ही न जागूँ ,
क्योंकि उसे सपने देखने हैं
तुम्हारी खुशहाली के ,
तुम्हारी बेहतरी के .
सोने दो शासक को
वह सोया है कुम्भकर्णी नींद ,
न बजाओ ढोल ,ताशे .
शासक ने कहा है
कुछ सालों के बाद
वह खुद जाग जायेगा ,
और तुम्हारे दुःख -दर्दों
की खबर लेगा ,
उन पर मरहम लगाएगा
खुद अपने हाथों से ,
तभी वह फिर लेगा
अपनी निरंतरता के
इकरारनामे पर
तुम्हारे हस्ताक्षर .
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