शासक ने बरसाये थे कोड़े
मेरे परदादा के पूर्वजों की पीठ पर ,
सदियों पहले .
मेरे दादा ने देखा था
जख्म के निशान
मेरे परदादा की पीठ पर ,
उनकी फटी कमीज के नीचे .
उदविकास के दौरान
परदादा के पूर्वजों की पूंछ
हालाँकि कट गयी थी
और हट गयी थी ,
पर जख्म के निशान हरे थे .
पीढी दर पीढी
वह निशान मुझ तक
आ पहुंचा है ,
और मैं सोच में
पड़ जाता हूँ ,
कहीं मेरी संतति भी
कहीं झांक न ले ,
मेरी फटी कमीज के नीचे
कोड़ों के वह निशान .
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