Saturday, 5 November 2011


मोमबत्ती
______
बत्ती ने काठ से मोम तक का
सफ़र तय किया था
कई सदियों में
और वह बनी मोमबत्ती.
 
लुकाठी में जलती आग
पहली बार लगी थी प्यारी और खूबसूरत
जब उसे मिला था मोम का सहारा .
 
मोम ने मर्म को छुआ था कई बार
और हम जलाने लगे थे मोमबत्तियां ,
शुभ और मार्मिक स्थलों पर .
 
हमने रिझाये लक्ष्मी को
दीपावली  के अवसर पर ,
खुशियों  की मोमबत्ती जला कर
और मोमबत्तियां जला कर
प्रकट की संवेदना
सामूहिक स्थलों पर
अपने प्रिय जनों की याद में
जो मारे गए सामूहिक नरसंहारों में .
 
काठ में लगी आग
जब सामूहिक उत्साह और लक्ष्य
को इंगित थी
वहीं मर्म स्थल से पिघली चेतना
मोम के रूप में संघनित हुयी थी
जो पिघलती थी
जब जब हमारा मर्म होता था आहत.
 
मोम ने दिया था एक सन्देश
काठ के दिलों को मोम होने का
मोम ने पत्थर दिलों को
पिघलाने की की थी एक अदना सी कोशिश
मोम बना सदाशयता और सहृदयता का संबल
 
यह मोमबत्ती जलती रहे
सदियों तक युगों तक
यूँ ही  अपनी रौ में
ठीक ऐसे  ही
अपने पूरे  वजूद के साथ.
 
 

2 comments:

  1. aur karti rahi raushan duniya ko...har man mom ho jata to kitna achchha hota...

    ReplyDelete
  2. ji sahi kaha aapne . bas shukriya kahunga :)

    ReplyDelete