राजा
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पहली बार और अक्सर मैंने सुना है ,
माँ से एक कहानी -
जिसमें होता था एक राजा
और होती थी उसकी एक महारानी
जो गहनों से रहती थी लदर फदर .
अक्सर राजा का एक महल होता था
जिसमें वह रहता था अपनी
सैकड़ों पटरानियों के साथ
और अक्सर होता था उसका सिंहासन सोने का
जिस पर वह बड़े अदब के साथ बैठता था .
राजा का महल होता था एक अभेद्य दुर्ग
जिसमें वह सैकड़ों रानियों के साथ
फरमा रहा होता था ऐशो आराम .
राजा के थे कई नौकर चाकर
भाट चारण ,
कवि ,गीतकार ,
गवैये ,संगीतकार .
राजा की होती थी एक विशाल सेना
और उसका साम्राज्य फैला होता था
नदियों से आगे ,पहाड़ से आगे
नहीं, नहीं आसमान से भी आगे .
राजा के महल में जड़े होते थे
हीरे मोती
कीमती पत्थर और जवाहरात .
शीशों के बड़े बड़े आईने
जिसमे रानियाँ देखा करतीं थीं अपने अक्स.
अक्सर उन कहानियों में
आया करती थी एक खुबसूरत राजकुमारी
राजकुमारी जो हंसती तो फूल झड़ते
रोती तो मोती .
और अक्सर राजा रखता था
एक कठिन शर्त ,
जिसे पूरा करता होता था
कोई निर्धन , प्रतिभावान बालक
और वह बन जाता था राजा .
पता नहीं क्यों माँ हर बार
ऐसी ही कहानी क्यों सुनाती थी
जिसमें हर बार
एक गरीब लड़का ही
बनता था राजा .
शायद उसे लगता हो बार बार दुहराने से
झूठ भी हो जाता है सच
और शायद मैं भी बन जाऊं कभी राजा .
राजा -
जिसके पास मर्सीडीज के काफिले हों
जिसके सैकड़ों मंत्री हों
जिसकी राजधानी अभेद्य दुर्ग हो
और जिसके भीतर उसका महल हो .
पर पता नहीं क्यों
राजा अब नहीं रखता कोई शर्त
जिसमें बन सके कोई गरीब और काबिल लड़का राजा
राजा ने अपनी सीट अब
रजवाड़ों के लिए ही रिजर्व रख दी है .
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