Tuesday, 8 November 2011

कच्ची दीवार
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कच्ची मिटटी की एक दीवार बनाई है मैंने
ना रंग रोगन ना पच्चीकारी .
निहायत ही बदसूरत
उसकी खूबसूरती बस इतनी
कि उसे कहा जा सकता है
एक साबूत दीवार .
 
शब्दों के मणि -माणिक्य का उठता नहीं कोई सवाल
ना बिम्ब के जाल
और ना ही दिलफेंक नारों का कोई धमाल .
कोई रहगुज़र ताके नहीं
झांके नहीं .
अपनी तमाम उम्र की बची हुयी
बुद्धि -कौशल से
बनायी है मैंने
ऐसी कच्ची दीवार .

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