Tuesday, 8 November 2011

३२ रुपये 
(सन्दर्भ : योजना आयोग की रिपोर्ट -
३२ रुपये प्रतिदिन शहर में और
२६ रुपये प्रतिदिन गाँव में
कमानेवाला  गरीब नहीं )
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रिक्शेवाले को जब ३० रुपये भाडा दिया मैंने 
तो यह बताना भी नहीं भूला
कि अब तुम अमीर होने से
२ रुपये ही दूर हो .
अगली कोई भी सवारी मिलेगी
और तुम हो जाओगे अमीर .
अमीर आज ही .
 
अपने पिचके गाल
और बुझी हुयी आँखों से
किसी अनबुझी पहेली को सुलझाने के
अंदाज में उसने मुझे देखा .
कहा कुछ नहीं .
 
जब मोची से मैंने
बनवाए अपने जूते और चप्पल
और उस पर पालिस करने को भी कहा
कि वह हो जाये अमीर आज
सिर्फ मुझसे ही .
कि उसे अमीर बनाने का श्रेय
कोई छीन न ले मुझसे .
मैंने उसे पालिस करने को कहा
ताकि मैं उसे अकेले ही दे सकूँ
३२ रुपये से ऊपर
और वह न रह जाये गरीब .
 
चलते चलते मैंने उसे उसके
अमीर होने की भी खबर दी
तो भी वह बुझा -बुझा ही रहा
जैसे मैंने किया हो
भद्दा सा मजाक .
 
जब मैंने टायर का पंक्चर बनानेवाले से
४० रुपये देते हुए  देते हुए
कही यही बात
कि तुम एक ही ग्राहक से
आज हो गए अमीर
तो उसने पूछा मुझसे
और जाना योजना आयोग की रिपोर्ट
और यह भी कि यह संस्था सरकारी है.
 
टायर बनानेवाले ने सरकारी कर्मचारी मुझे जान
मुझसे कहा -
बाबूजी , हम गरीबों के वोट का
उड़ाया न करो मजाक .

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